REDUCE YOUR RISK OF CANCER, DIABETES, AND HIGH BLOOD PRESSURE BY DRINKING WATER IN THIS WAY – पानी पीने का अगर आपको सही तरीका आता है तो आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हो |

REDUCE YOUR RISK OF CANCER, DIABETES, AND HIGH BLOOD PRESSURE BY DRINKING WATER IN THIS WAY – पानी पीने का अगर आपको सही तरीका आता है तो आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हो |

पानी पीने का अगर आपको सही तरीका आता है तो आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हो |

जैसे के हम सब यह बखूबी जानते है के पानी हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी होता है | क्या आपको यह पता है के पानी पीने का भी तरीका और समय होता है | आज हम इस आर्टिकल में बात करें गे समय मुताबिक पानी पीने से आपको क्या फायदे हो सकते है |

पानी का सही मात्रा में सेवन आपकी उम्र और बुद्धि दोनों को बढ़ा सकता है | सुबह उठ कर पानी पीने के फायदों की लिस्ट काफी लम्बी है | सुबह उठ कर पानी पीने (Empty Stomach Water ) से आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हो जैसे :-

(Subeh Khali  Pet Paani Peene Ke Fayde In Hindi)

  • सिरदर्द – Headaches
  • शरीर का दर्द – Body aches
  • ह्र्दय रोग – Cardiovascular diseases
  • गठिया – Arthritis
  • मिरगी – Epilepsy
  • मोटापा – Obesity
  • कफ की खांसी -Bronchitis
  • दमा – Asthma
  • TB
  • गुर्दे के रोग – Kidney diseases
  • उल्टियां – Vomiting
  • शुगर – Diabetes
  • कब्ज – Aonstipation
  • आँखों के रोग – Eye disease
  • माहवारी – Menstrual disorders
  • कान और नाक के रोग – Ear, nose and throat disorders

ऊपर बताये गये कुछ रोग उन रोगों में से है जो सुबह उठ कर पानी पीने से ठीक हो सकते है | आगे हम आपको बताएंगे दिन में किस तरह से आपको पानी का सेवन करना चाहिए ताकि आप तंदरुस्त जीवन जी सकें | अगर आप ऊपर बताये गये किसी भी रोग से परेशान हो तो नीचे बताये गये तरीकों को अपनाओ….आप जरुर बेहतर महसूस करेंगे |
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  • सुबह उठते ही 4 गिलास पानी (अगर आप इतने पानी का सेवन नहीं कर सकते तो पहले दिन उतने पानी से शुरू करें जितना आप पी सकें और धीरे धीरे पानी की मात्रा बढ़ाते जाएं जब तक 4 गिलास न हो जाए ) उसके बाद आप अपने दांत ब्रश कर लीजिये रोजाना की तरह लेकिन 45 मिनटों तक कुछ भी खाना पीना नहीं है |
  • 45 मिनट के बाद आप अपना नाश्ता या चाय कॉफ़ी ले सकते हैं  और अगले 2 घंटो के लिए कुछ भी सेवन ना करें |
  • और यही तरीका आपने दोपहर और रात के खाने के साथ अपनाए |

उपर बताये गये पानी पीने के तरीके को अपनाने से आप बहुत जल्द इन बीमारियों से छुटकारा पा लेंगे  जैसे कि :-

  • ब्लडप्रेशर (30 दिनों में )
  • शुगर (30 दिनों में)
  • कब्ज (10 दिनों में)
  • कैंसर (180 दिनों में)
  • TB (90 दिनों में)

तो देर किस बात की कल सुबह से ही इन आदतों कोअपनाएं – निरोगी जीवन आपका इन्तजार कर रहा है |
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HOME REMEDY FOR SLEEPING SICKNESS II नींद न आने की समस्या का घरेलू उपचार II

HOME REMEDY FOR SLEEPING SICKNESS II नींद न आने की समस्या का घरेलू उपचार II

HOME REMEDY FOR SLEEPING SICKNESS II नींद न आने की समस्या का घरेलू उपचार II

How you feel during your waking hours hinges greatly on how well you sleep. Similarly, the cure for sleep difficulties can often be found in your daily routine. Your sleep schedule, bedtime habits, and day-to-day lifestyle choices can make an enormous difference to the quality of your nightly rest. The tips & home remedies in this video by F3 Health Care will help you optimize your sleep so you can be productive, mentally sharp, emotionally balanced, and full of energy all day long.

In this video of F3 health care at home very extremely talented anchor Mr. Alaankar Shrivastava is giving “Home remedies for Sleeping Sickness” through all natural ingredients which gives you quick heal in all the health problems.

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हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक ईलाज (Heart Attack Ayurvedic Remedy)

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भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर लाखो रुपए मे बेचते है आपको !

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!

हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!
अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!

तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए !

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!

इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!

कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

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Ayurvedic Treatment for Heart Diseases

Till early eighties, it was widely believed that heart disease was virtually irreversible. This meant that once developed, the disease ran a progressive course until the coronary arteries were completely blocked. But recent studies have proven beyond doubt that not only it is possible to stall the process of artery blockage but also the blockage can be really reversed. This implies that through measures other than angioplasty (ballooning) or bypass surgery, it is quite possible to increase the blood flow to the areas of the heart that receive less than adequate blood supply due to clogging of the coronary arteries.

It is quite disheartening that the highly technological approach of the modern medicine literally bypasses the underlying causes of the heart disease. Ayurveda, on the other hand, aims at striking at the very root of the disease. A real cure for this disease is only possible if we adopt a holistic approach as the one advocated in Ayurveda and address the problem at its very root. Shunning the age-old principles of healing described in the Vedas- the great Indian heritage, as unscientific only just because they are old, is most unfortunate. However, due to the intensive research work of some doctors in the west, people now have come to believe that Heart Disease can be reversed.

There are some very effective natural treatments for regulating and strengthening the heart. Here are some of the recommendations that Ayurveda makes:

Nourishment: Use of Amla fruit as an excellent anti-oxidant that can help to prevent arterial damage from free radicals as well as nourishing the heart tissue. Amla can help boost the immune system and nourish the heart. Chywanaprash is a delicious nutritive herbal jam that contains Amla and is a real boost to the strength of the heart.

Increase circulation: A major cause of heart problems is due to hardening, inflammation or congestion of the arteries which can restrict blood flow as well as putting pressure on the heart muscle and tissue. Arjuna is one of Ayurveda’s wonder herbs for strengthening the cardiac muscle, reducing arterial congestion and lowering blood pressure.

Reduce Blood fats and high cholesterol: If you suffer from high cholesterol try Triphala Guggul which combines a range of herbs known to tackle the causative problems of high cholesterol as well as reduce high levels of blood fats.

Relaxation: If you suffer from excess tension try using Ashwagandha . It is a wonder herb for helping reduce tension in the body and mind as well as strengthen the heart muscle.

Dietary suggestions: Eat a nourishing diet that removes all processed foods, poor quality dairy, poor quality oils, hydrogenated oils. Increase foods that are excellent for the heart. Use garlic, turmeric, ginger and saffron. Include whole grains, pulses and foods high in essential fatty acids such as hemp seed oil. EFAs are renowned for helping to keep arteries clean and the heart strong.

Avoid over-eating and eating frequently. Eat a light breakfast and dinner. Lunch should be the main meal. Milk products, fried foods, cold foods and acidic foods should be taken in small quantities. White flour products and foods that contain chemical preservatives and additives should be avoided. Animal products, especially red meat, are not good as they take a long time to be digested, and create a lot of toxins in the stomach.

Seasonal fruits and fresh vegetables (steamed or cooked), Brown bread or Chapatti, salad, sprouts, vegetable soup, buttermilk, cottage cheese (paneer), a little quantity of fresh milk and ghee (clarified butter) prepared from cow’s milk, make up an ideal list of food items to choose from. Anything sweet should be taken in moderation. Honey and jaggery are healthier than purified sugar.

Fried things, pulses and their preparations, and groundnut oil are prohibited. Ayurvedic physicians allow butter or ghee, and not groundnut oil. Cow’s ghee, cow’s milk and cows’ butter are useful for the patient. Buffalo ghee and buffalo milk are not recommended. Stimulants like tea, coffee and alcoholic drinks are very harmful for such patients.

In addition to maintaining a healthy eating pattern, specific foods are often recognized as particularly heart-healthy. One of the most popular of these healthful foods is fatty fish with its high omega-3 fatty acid content. A recent study determined that women who consumed more omega-3 fatty acid laden fish (two servings weekly) had a reduced rate of death due to heart disease. These researchers found that this was independent of cardiovascular risk factors or other dietary sources that may influence the development of heart disease. Good sources of omega-3’s besides fish are: flaxseeds, flaxseed oil, canola oil, olive oil, sesame oil, peanut butter and oil, sunflower seeds and oil, avocado, soybean oil, and safflower oil. Additionally, flavonoids found in tea and cocoa have been recognized for their antioxidant benefit. By blocking oxidative damage to LDL cholesterol and reducing platelet clumping, flavonoids may help to reduce the risk of cardiovascular disease. An inverse association between dietary fiber intake and cardiovascular disease risk has also been proposed. This underscores the recommendation for increased consumption of fiber-rich whole grains, legumes, fruits and vegetables.

 

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Lifestyle: Your heart needs a regular supply of oxygen and it also must not be overstressed. Practice light aerobic exercise and regular relaxation. Ayurveda would recommend some nourishing yoga practices, such as the dynamic ‘Sun Salutation’ as well as daily breathing practices (Pranayama). Ayurveda suggests exercising within your own limitations and does not encourage excessive exercise that leaves you tired. Yoga is exercise that leaves you energised and fitter.
A very common cause of heart diseases is mental stress. Regular practice of yoga and Pranayama (breathing exercises) reduces stress levels. Also, meditation has been scientifically proven to prevent as well as cure heart diseases.

Ayurveda considers the functions of heart and mind inter-linked. Disturbance in one affects the other. Therefore, patients having heart disease are advised to refrain from anxiety, worry, excessive sexual intercourse and wrathful disposition. All efforts should be made for the patient to have good sleep at night. Even rest during the day is essential. He should never be permitted to remain awake at night for long.

The patient’s bowels should move regularly. If there is constipation, he is advised to take a glass of water early morning and go for a walk every day. A gentle laxative like Triphala choorna may be used if required

Panchakarma: A gentle head massage with or without oil several times a week is very beneficial. A full-body self-massage with oil once a week is also good.

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मोटापा का उपचार (Obesity Treatment)

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शरीर के अंदर असामान्य रूप से जमा वसा ही ओबेसिटी (Obesity) है। सामान्यतौर पर व्यक्ति की लंबाई के अनुपात में यदि शारीरिक वजन ज्यादा हो तो उसे मोटापा माना जाता है लेकिन ओबेस लोगों के शरीर पर फैट मोटे लोगों की तुलना में कहीं अधिक होता है, जो न केवल शरीर को बेडौल बनाता है बल्कि कई तरह की अन्य शारीरिक समस्याओं का कारण भी बनता है।” margin_top=”” margin_bottom=”” animation_type=”0″ animation_direction=”down” animation_speed=”0.1″ class=”” id=””][/fusion_tagline_box]

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[fusion_tab title=”विवरण” icon=””]

विवरण

ओबेसिटी में शरीर का बीएमआई या बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index) 30 या उससे भी अधिक हो जाता है। शरीर की यह स्थिति चिंताजनक होती है क्योंकि इतना मोटापा अन्य बिमारियों जैसे – डायबिटीज, तनाव (stress), हृदय संबंधी (heart disease) परेशानियां आदि) का कारण भी बनने लगता है।

यूं जान सकते हैं ओबेसिटी को (How to measure Obesity)
वजन केवल सामान्य से ज्यादा है यानि आप केवल मोटे हैं या आपका मोटापा खतरे की घंटी के नजदीक पहुंच चुका है यह जानने के लिए शरीर का बॉडी मास इंडेक्स जानना जरूरी है। बीएमआई कैलकुलेट करने के लिए व्यक्ति का वजन (किलोग्राम में) को व्यक्ति की लंबाई (मीटर स्क्वायर में) से भाग देते हैं। यदि भागफल 30 या उससे अधिक आता है तो व्यक्ति को ओबेस माना जाता है।

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[fusion_tab title=”जोख़िम” icon=””]

बहुत से ऐसे कारण होते हैं जो कि प्रत्यक्ष (directly) या अप्रत्यक्ष (indirectly) रूप से ओबेसिटी की वजह होते हैं। व्यवहार या रहन-सहन, आस-पास का माहौल और कई दफा जेनेटिक कारणों से व्यक्ति ओबेस हो सकता है।
रहन-सहन (Lifestyle)
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोग आसानी से अस्वस्थ लाइफ स्टाइल को अपना लेते हैं। न खान-पान पर ही ध्यान दे पाते हैं और न ही शारीरिक मेहनत ही कोई रह गई है, ऐसे में मोटापा आसानी से लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
लोगों के खाने में फास्ट फूड बढ़ा है जो कि ज्यादातर मैदा और तरह तरह के रिफाइनरी तेलों से बना होता है, इस तरह लोग ज्यादा कैलोरी कंज्यूम करते हैं लेकिन इसके उलट शारीरिक मेहनत उतनी नही रह गई है जिसके कारण भी शरीर में वसा जमा होने लगती है और व्यक्ति ओबेस हो जाता है।
वातावरण या माहौल (Environment)
माहौल या आसापास के वातावरण का भी शरीर के स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अब पहले की तरह सीढ़ियां चढ़ना, उतरना, पैदल चलना आदि नहीं रह गया। अब लोग छोटी से छोटी दूरी भी कार और बाइक से तय करना चाहते हैं। एक फ्लोर चढ़ने के लिए भी लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा ताजा खाना खाने की परंपरा भी कम होती जा रही है। डिब्बा बंद खाना या फ्रिज में रखा हुआ खाना, खाने की आदतें भी शरीर पर अच्छा प्रभाव नहीं डालतीं।
जेनेटिक कारण (Genetic Reason)
विज्ञान कहता है कि कुछ जेनेटिक कारण भी मोटापे की वजह होते हैं। जींस में कई तरह के डिस्ऑर्डर (disorder) भी ओबेसिटी को जन्म देते हैं। इसके अलावा यदि माता-पिता ओबेस हैं तो संभव है कि बच्चे भी ओबेस हो जाएं। ऐसे में शुरू से ही बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरतनी चाहिए।
खाने पीने की आदतें (Eating and Drinking Habit)
आपकी खाने पीने की आदतें भी आपके शरीर को मोटा बना सकती हैं। एक बार में बहुत सारा खाना या बिल्कुल न खाना, दोनों ही परिस्थितियां शरीर के लिए ठीक नहीं। कई लोग मोटापे से बचने के लिए सुबह का नाश्ता नहीं करते, जबकि ऐसा करने से मोटापा और भी बढ़ता है।

 

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[fusion_tab title=”उपचार” icon=””]

सामान्य उपचार
कुछ लोगों को खाने का कोई समय निर्धारित नहीं होता। असमय खाने-पीने की आदतें भी मोटापे को बढ़ाती हैं। समय से खाना और एक साथ खाने की जगह छोटे पोर्शन में कई बार खाना शरीर के लिए ज्यादा बेहतर होता है।

ओबेसिटी से बचने के लिए टिप्स (Some Tips to Avoid Obesity)

  • खाने में फल (fruit) और सब्जियां (vagetables) ज्यादा लें
  • एक साथ ज्यादा खाने की जगह छोटे छोटे मील बनाकर खाएं
  • सेचुरेटेड फैट, ट्रांस फेट और और रिफाइंड शुगर से दूर रहें
  • जो भी खाएं उसकी कैलोरी को नोटिस करें
  • रोजाना व्यायाम (exercise) जरूर करें, जॉगिंग और रनिंग को इसका हिस्सा बनाएं
  • तैराकी (swimming) भी मोटापे से बचने का अच्छा उपाय है
  • रस्सी कूदें (skip rope)

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वायरल बुखार (Viral Fever)

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वायरस के संक्रमण से होने वाले बुखार को वायरल फीवर (Viral Fever) कहते हैं। वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं।

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विवरण

वायरस के संक्रमण से होने वाले बुखार को वायरल फीवर (Viral Fever) कहते हैं। वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं। ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं।

वायरल बुखार की जानकारी (Details of Viral Fever)
यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से पहुँचती है। इसके विषाणु साँस द्वारा एक से दूसरे में पहुँचते हैं। फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है।

बच्चोंं में वायरल बुखार (Viral Fever in Kids)
शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं।
किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।

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[fusion_tab title=”लक्षण” icon=””]

वायरल बुखार के लक्षण (Viral Fever Symptoms)

  • आँखें लाल होना
  • इस बुखार में शरीर का ताप 101 डिग्री से 103 डिग्री या और ज्यादा भी हो जाता है
  • खांसी और जुकाम होना
  • जोड़ों में दर्द और सूजन होना
  • थकान और गले में दर्द होन
  • नाक बहना होना
  • बदन दर्द होना
  • भूख न लगना
  • लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना
  • सिरदर्द होना

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[fusion_tab title=”उपचार” icon=””]

वायरल बुखार का उपाय (Treatment of Viral Fever)

सामान्य उपचार

वायरल बुखार अकसर सामान्य बुखार ही लगता है इसलिए बुखार होने पर डॉक़्टर के पास जरूर जाना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि वायरल बुखार है या नहीं। वायरल बुखार (Viral Fever) होने पर निम्न उपाय अपनाने चाहिए:

  • बुखार अगर 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही कर सकते हैं।
    मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें। पट्टियां तब तक रखें, जब तक शरीर का तापमान कम न हो जाए। पट्टी रखने के बाद वह गरम हो जाती है इसलिए उसे सिर्फ 1 मिनट तक ही रखें।
  • अगर माथे के साथ – साथ शरीर भी गर्म है तो नॉर्मल पानी में कपड़ा भिगोकर निचोड़ें और उससे पूरे शरीर को पोंछें।
    मरीज को हर छह घंटे में पैरासिटामॉल (Paracetamol) की एक गोली दे सकते हैं। दूसरी कोई गोली डॉक्टर से पूछे बिना न दें।
    बच्चों को हर चार घंटे में 10 मिली प्रति किलो वजन के अनुसार दवा दे सकते हैं।
  • दो दिन तक बुखार ठीक न हो तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।
  • साफ – सफाई का पूरा ख्याल रखें। मरीज को वायरल है, तो उससे थोड़ी दूरी बनाए रखें और रोगी के द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें इस्तेमाल न करें।
  • मरीज को पूरा आराम करने दें, खासकर तेज बुखार में। आराम भी बुखार में इलाज का काम करता है।
  • मरीज छींकने से पहले नाक और मुंह पर रुमाल रखें। इससे वायरल होने पर दूसरों में फैलेगा नहीं।
  • वायरल फीवर में एंटीबॉयटिक दवाओं की कोई भूमिका नहीं होती। वायरल फीवर 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है।
  • इस रोग का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है, रोगी को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट लेना चाहिए।

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[fusion_tab title=”घरेलू नुस्खे ” icon=””]
वायरल बुखार के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies For Viral Fever)

तापमान में अचानक परिवर्तन होने या संक्रमण का दौर होने पर अधिकतर लोग बुखार से पीड़ित होते हैं। ऐसा ही एक मौसमी संक्रमण वाला बुखार होता है वायरल बुखार (Viral Fever)। इस बुखार से निपटने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाओं या कुछ ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) का सहारा लिया जाता है। आप चिकित्सक के पास जाएं उससे पहले कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी बुखार को कम या इससे पूरी तरह आराम पाया जा सका है। वायरल बुखार के के लिए प्राकृतिक इलाज सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध है। आइए आपको बताते वायरल बुखार के इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार, जो कि निम्नलिखित हैं-

1. धनिया चाय (Coriander Tea)
धनिया के बीज में phytonutrients होते हैं जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिया में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं।

कैसे तैयार करें- एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्म्च धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

2. डिल बीज का काढ़ा (Brew of Dill seed)
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और शरीर को आराम देने के अलावा, डिल बीज शरीर के तापमान को कम करने में भी उपयोगी होते हैं। इसका कारण इनमें Flavonoids Osmond Pins उपस्थिति होते हैं। डिल बीज का काढ़ा वायरल बुखार में राहत देने के साथ ही शक्तिशाली रोगाणुरोधी एजेंट का कार्य करता है।

कैसे तैयार करें- एक कप उबलते पानी में डिल बीज डालें और उबलनें दें इसके बाद इसमें एक चुटकी दालचीनी डालें। गर्म चाय की तरह पिएं।

3. तुलसी के पत्ते का काढ़ा (Brew of Basil leaves)
वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है तुलसी के पत्ते। बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं।
कैसे तैयार करें- आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।

4. चावल स्टार्च (Rice starch)
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी के रूप में जाना जाता है)। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए, एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है।

कैसे तैयार करें- एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।

5. सूखी अदरक मिश्रण (Dry ginger mixture)
अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए Analgesic गुण होते हैं। इसलिए, वायरल बुखार से पीड़ित लोगों को परेशानी को दूर करने के लिए शहद के साथ सूखी अदरक का उपयोग करना चाहिए।
कैसे करें तैयार- एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।

6. मेथी का पानी (Fenugreek Water)
रसोई घर में आसानी से उपलब्ध, मेथी के बीज में डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण शामिल है। मेथी के बीजों का प्रयोग अन्य बहुत सी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए बेहतरीन औषधि है।
कैसे तैयार करें- आधा कप पानी में में एक बड़ा चमचा मेथी के बीच भिगोएँ। सुबह में, वायरल बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर इस पेय को पिएं। कुछ और राहत के लिए मेथी के बीज, नींबू और शहद का एक मिश्रण तैयार कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है।

नोट- ये केवल घरेलू उपचार हैं, और इन्हें चिकित्सा सलाह के स्थान पर प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपका बुखार नहीं उतर रहा है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और उनके दिशा निर्देश का पालन करना चाहिए।

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